सावन सोमवार व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है।
श्रावण मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार को यह व्रत किया जाता है, जिसे सावन सोमवार के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और
नियमपूर्वक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विशेषकर विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
श्रावण मास प्रकृति, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है। बारिश की फुहारों के बीच मंदिरों में गूंजते
‘ॐ नमः शिवाय’ के जाप वातावरण को शिवमय बना देते हैं।
ऐसे पावन समय में व्रत और पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सावन सोमवार व्रत 2025: तारीखें और पंचांग विवरण:

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन व्रत हर साल भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से रखा जाता है।
यह व्रत खासतौर पर उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है जो जीवन में सुख, वैवाहिक समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना रखते हैं।
साल 2025 में सावन मास का प्रारंभ 11 जुलाई 2025 (सोमवार) से हो रहा है, जो कि सावन का पहला सोमवार भी होगा।
इस बार सावन सोमवार की कुल चार तिथियाँ होंगी, जो इस प्रकार हैं:
सप्ताह | तिथि (2025) | दिन | पर्व |
पहला सोमवार | 14 जुलाई | सोमवार | सावन व्रत |
दूसरा सोमवार | 21 जुलाई | सोमवार | सावन व्रत |
तीसरा सोमवार | 28 जुलाई | सोमवार | सावन व्रत |
चौथा सोमवार | 4 अगस्त | सोमवार | सावन व्रत |
इन दिनों भगवान शिव का जलाभिषेक, मंत्र जाप और व्रत का विशेष महत्व होता है।
खास बात यह है कि इस साल सावन की शुरुआत और पहला सोमवार एक ही दिन पड़ रहा है, जो इसे और भी शुभ बनाता है।
यदि आप इस पवित्र महीने में शिव भक्ति से जुड़े रहना चाहते हैं, तो इन चारों सावन व्रत की तिथियों को अपने कैलेंडर में जरूर नोट करें।
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सावन सोमवार व्रत का धार्मिक महत्व:

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पावन समय माना जाता है।
इस दौरान भक्त श्रद्धा से जल अर्पण करते हैं, व्रत रखते हैं और शिव जी की विशेष कृपा पाने की कामना करते हैं।
खासकर सावन व्रत का महत्व इस कारण से और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सीधे शिव उपासना से जुड़ा होता है।
मान्यता है कि सावन में माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। उनके इस समर्पण और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में,
महिलाएं विशेष रूप से सावन के सोमवार को व्रत रखती हैं ताकि उन्हें भी शिव जैसा जीवनसाथी मिले या वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे।
यह व्रत केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी पुण्यदायक माना जाता है।
सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, और धतूरा चढ़ाने की परंपरा है।
यह न केवल धार्मिक रिवाज है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।
व्रत रखने वाला भक्त पूरे दिन सात्विक जीवन जीने का प्रयास करता है,
जिससे आत्म अनुशासन भी विकसित होता है। इस प्रकार, सावन सोमवार व्रत
केवल पूजा का एक रूप नहीं, बल्कि आत्मिक विकास की एक यात्रा भी है।

सावन मास में पूजा करने की विधि (पूजा विधि विस्तार से):

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान सोमवार के दिन विशेष रूप से शिव पूजन का महत्व बढ़ जाता है।
श्रद्धालु इस मास में व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिवलिंग की पूजा कर प्रभु से कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
सावन में की गई पूजा को विशेष फलदायी माना जाता है, लेकिन सही विधि से की गई आराधना ही प्रभावी होती है।
यहां जानिए सावन सोमवार के दिन पूजा करने की आसान और पारंपरिक विधि:
1. सुबह स्नान और संकल्प
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें, साफ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
2. पूजा स्थल की तैयारी
- घर के मंदिर या साफ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें या चित्र/फोटो रखें।
- दीपक जलाएं और स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. अभिषेक विधि
- शिवलिंग पर गंगाजल, कच्चा दूध, शहद, दही, और घी से अभिषेक करें (पंचामृत)।
- अंत में शुद्ध जल से स्नान कराएं।
4. पूजन सामग्री अर्पण करें
- बेलपत्र (3 पत्तों वाला), धतूरा, भस्म, सफेद फूल, चंदन, और फल चढ़ाएं।
- एक-एक सामग्री अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र जपते रहें।
5. शिव मंत्रों का जाप
- शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 108 बार जाप करें।
- ध्यान रखें कि पूजा मन और भावनाओं से की जाए, केवल विधि से नहीं।
6. आरती और कथा वाचन
- शिव आरती करें – “ॐ जय शिव ओंकारा”
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें, जिससे व्रत की पूर्णता होती है।
7. व्रत आचरण और फलाहार
- दिन भर व्रत रखें, फलाहार या जल पर रहें (स्वास्थ्य अनुसार)।
- शाम को पूजा कर भगवान से क्षमा याचना करें और प्रसाद वितरित करें।
सावन पूजा विधि का पालन श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो शिव की कृपा से इच्छित फल अवश्य प्राप्त होता है।
यह न केवल आत्मिक शुद्धि का मार्ग है, बल्कि मन की स्थिरता और सकारात्मकता भी लाता है।
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सावन सोमवार व्रत की कथा:

सावन सोमवार व्रत की कथा भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र प्रेम से जुड़ी हुई है।
मान्यता है कि माता पार्वती ने अनेक जन्मों तक कठिन तपस्या की थी ताकि उन्हें शिवजी को पति रूप में प्राप्त हो सके।
अंततः सावन मास के सोमवारों में व्रत रखकर उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनके साथ विवाह का सौभाग्य प्राप्त किया।
इस व्रत की कथा के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण कन्या ने भी सावन सोमवार का व्रत किया। उसने पूरे नियमों का पालन करते हुए शिव-पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की।
भगवान शिव उसकी श्रद्धा से प्रसन्न हुए और उसे उत्तम पति का वरदान दिया। बाद में उसका विवाह एक योग्य और धर्मनिष्ठ युवक से हुआ, और उसका जीवन सुखमय बना।
यह कथा यह संदेश देती है कि श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया व्रत न सिर्फ इच्छाएं पूरी करता है, बल्कि जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिक शक्ति भी लाता है।
विशेष रूप से अविवाहित लड़कियां इस व्रत को पति प्राप्ति की कामना से करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए इसे करती हैं।
सावन सोमवार की परंपराएं और सांस्कृतिक महत्व:

सावन का महीना सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत खास होता है।
इस पवित्र माह में हर सोमवार को सावन सोमवार व्रत रखा जाता है, जिसे पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
उत्तर भारत में लोग कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं,
जिसमें भक्तजन गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। वहीं गांवों और कस्बों में महिलाएं झूले झूलती हैं,
पारंपरिक गीत गाती हैं और हरे रंग के कपड़े पहनकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
इस दिन मंदिरों में विशेष सावन पूजा विधि के अनुसार रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
कुछ स्थानों पर शिव बारात और सांस्कृतिक झांकियां भी निकाली जाती हैं,
जो सावन की धार्मिक भावना को और गहरा करती हैं।
यह परंपराएं न सिर्फ आस्था को मजबूत करती हैं, बल्कि सामाजिक जुड़ाव का माध्यम भी बनती हैं।
इस तरह, सावन सोमवार न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है,
बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का भी प्रतीक बन गया है।
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हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, और उसी के अनुसार हर व्रत का प्रभाव भी अलग होता है।
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निष्कर्ष:
सावन सोमवार व्रत सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शिवभक्ति से जुड़ी एक आस्था है जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने का मार्ग दिखाती है।
2025 में जब सावन का पहला सोमवार आएगा, तो वह अवसर होगा अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का।
अगर आप श्रद्धा और विधिपूर्वक सावन सोमवार व्रत रखते हैं, तो भगवान शिव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
चाहे जीवन में मनोकामनाएं हों, वैवाहिक सुख की चाह हो या आत्मिक शांति, यह व्रत हर रूप में फलदायी माना गया है।
इस सावन, शिवभक्ति के इस विशेष पर्व को पूरी श्रद्धा से मनाएं और अपने जीवन को नव ऊर्जा से भर दें।