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क्यों मनाई जाती है मार्गशीर्ष अमावस्या और क्या है असर?

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हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष अमावस्या अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली तिथि मानी जाती है। यह वह समय होता है जब साधक, गृहस्थ और भक्त अपने भीतर की ऊर्जा को संतुलित करने और नकारात्मकता को दूर करने के लिए विशेष साधनाएँ करते हैं। 

इस दिन देवोपासना, पितृकार्य, दान–धर्म और ध्यान किसी भी अन्य दिन की तुलना में अधिक फलदायी माना जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या कब और क्यों मनाई जाती है?

मार्गशीर्ष अमावस्या हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टियों से अत्यंत शुभ मानी जाती है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अमावस्या योग में रहता है और ऊर्जा का स्तर साधना, तर्पण और दान के लिए विशेष रूप से अनुकूल होता है।

इस तिथि को मनाने के धार्मिक कारण कई हैं—

भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह को “महीनों में श्रेष्ठ” बताया है, इसलिए इस माह का हर शुभ कार्य कई गुना अधिक फल प्रदान करता है। पितरों की शांति, नकारात्मकता से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह अवसर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 में तिथि और मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • अमावस्या प्रारंभ: 19 नवंबर 2025
  • अमावस्या समाप्त: 20 नवंबर 2025
  • ब्रह्म मुहूर्त: 05:01 AM – 05:54 AM
  • प्रातः सन्ध्या: 05:28 AM – 06:48 AM
  • अभिजित मुहूर्त: 11:45 AM – 12:28 PM
  • विजय मुहूर्त: 01:53 PM – 02:35 PM
  • गोधूलि मुहूर्त: 05:26 PM – 05:52 PM
  • सायाह्न सन्ध्या: 05:26 PM – 06:46 PM
  • अमृत काल: 02:15 AM (21 Nov) – 04:03 AM (21 Nov)
  • निशिता मुहूर्त: 11:40 PM – 12:34 AM (21 Nov)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: 10:58 AM – 06:49 AM (21 Nov)

इन्हीं कारणों से मार्गशीर्ष अमावस्या को धार्मिक, पितृ–कार्य, ध्यान, योग और दान के लिए वर्ष का अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।

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मार्गशीर्ष अमावस्या पर कौन-कौन से नियम और साधनाएँ अपनानी चाहिए?

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मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन कुछ विशेष नियम और साधनाएँ अपनाने से इस तिथि का आध्यात्मिक, धार्मिक और ऊर्जात्मक लाभ कई गुना बढ़ जाता है।

  • सूर्योदय से पहले स्नान करके शरीर, मन और वातावरण की शुद्धि की जाती है।
  • शांत मन से ध्यान और मंत्र–जप करने से मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • दीपदान से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर घर–परिवार में सौभाग्य प्रवेश करता है।
  • पितृ तर्पण करके पितरों की कृपा, शांति और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  • ब्रह्मचर्य और संयम का पालन मन को स्थिर और केंद्रित बनाता है।
  • दान–धर्म और सेवा इस दिन कई गुना अधिक पुण्य और शुभ परिणाम प्रदान करते हैं।

इन सरल लेकिन प्रभावशाली नियमों का पालन करके व्यक्ति मार्गशीर्ष अमावस्या के दिव्य, शुभ और कल्याणकारी फल सहज रूप से प्राप्त कर सकता है।

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इस दिन कौन-कौन सी पूजा–विधियाँ की जाती हैं?

मार्गशीर्ष अमावस्या पर की जाने वाली पूजा–विधियाँ अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती हैं। भक्त इस दिन विशेष रूप से पूजा करते हैं और भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी एवं पितरों की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

इस दिन प्रमुख पूजा–विधियाँ निम्न प्रकार से की जाती हैं:

  • जलाभिषेक कर भगवान विष्णु को तुलसी, अक्षत और पीले पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
  • दीपदान द्वारा घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर कर शुभता का स्वागत किया जाता है।
  • तुलसी पूजा कर सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है।
  • विष्णु आराधना और आरती से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • धूप–दीप और मंत्र–जप से घर का वातावरण शुद्ध एवं पवित्र बनता है।
  • पितृ तर्पण करके पितरों की शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

इन पूजा–विधियों से मार्गशीर्ष अमावस्या का दिव्य प्रभाव व्यक्ति के मानसिक–आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ाता है और जीवन में शुभता लाता है।

यदि आप इन पूजा–विधियों को सही तरीके से करने या शुभ मुहूर्त जानने में मार्गदर्शन चाहते हैं, तो आप AstroLive पर विशेषज्ञ ज्योतिषियों से तुरंत परामर्श ले सकते हैं।

क्या शनि उपासना के लिए भी यह तिथि शुभ है?

हाँ। इस दिन शनि आराधना और तैलाभिषेक अत्यंत शुभ माने जाते हैं। बहुत से लोग अपने कर्मों से जुड़ी बाधाओं को दूर करने और न्याय के देव शनि से कृपा पाने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या शनि अनुष्ठान करते हैं।
इसी प्रकार, भक्त अपने कर्मक्षेत्र में स्थिरता और उन्नति की कामना भी करते हैं।

इस तिथि पर शनि मंत्र–जप, पीपल पूजा, सरसों के तेल का दान और काले तिल से हवन करने से दुर्भाग्य, बाधाएँ और ग्रहदोष काफी हद तक शांत माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए ये उपाय व्यक्ति के जीवन में संतुलन, धैर्य और कर्मों का सकारात्मक फल लाते हैं।

क्या ज्योतिषीय दृष्टि से यह अमावस्या प्रभावशाली है?

ज्योतिष में मार्गशीर्ष अमावस्या को अत्यंत ऊर्जावान और साधना के लिए अनुकूल तिथि माना गया है। इस दिन चंद्रमा की स्थिति मानसिक–आध्यात्मिक संतुलन के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है।

इस दिन के ज्योतिषीय प्रभाव मुख्यतः इस प्रकार माने जाते हैं:

  • इस तिथि पर साधना और ध्यान के लिए ऊर्जा अत्यंत अनुकूल मानी जाती है।
  • कुंडली में चंद्र दोष को शांत करने के लिए यह विशेष प्रभावशाली समय होता है।
  • भावनात्मक असंतुलन और मानसिक तनाव कम करने के लिए इस दिन के उपाय फलदायी होते हैं।
  • ऊर्जा की रुकावट, नकारात्मक विचार और मनोबल की कमी दूर करने में यह अमावस्या सहायक मानी जाती है।
  • ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए गए उपाय शीघ्र और अधिक प्रभावी फल देते हैं।

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इस तिथि पर पितृकार्य करना उचित है?

इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और पितृ–तर्पण करना अत्यंत शुभ माना गया है।कई परिवार इस अवसर पर गाय और ब्राह्मण को भोजन करवाते हैं जिससे पितरों की कृपा बनी रहती है।

यह माना जाता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों का स्मरण व्यक्ति के परिवार में समृद्धि, शांति और सौभाग्य लाता है।

क्या मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 की तिथि विशेष प्रभाव लाएगी?

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हाँ, 2025 की मार्गशीर्ष अमावस्या ज्योतिषीय रूप से अधिक प्रभावशाली मानी जा रही है। ग्रहों की स्थिति इस दिन को साधना, शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाती है। इस दिन की पूजा और उपाय सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होंगे।

मुख्य प्रभाव इस प्रकार होंगे:

  • चंद्र ऊर्जा का बढ़ा प्रभाव
    इस वर्ष चंद्रमा की स्थिति मानसिक शांति और ध्यान के लिए अधिक अनुकूल रहेगी।
  • पितृ तर्पण का शुभ समय
    2025 की यह अमावस्या पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अधिक फलदायी मानी जा रही है।
  • ग्रहों का सकारात्मक सहयोग
    सूर्य–चंद्र संयोजन के कारण इस दिन किए गए उपाय तेज़ी से प्रभाव दिखा सकते हैं।

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निष्कर्ष

मार्गशीर्ष मास की अमावस्या ऊर्जा, भक्ति और पुण्य का अभूतपूर्व संगम है। इस दिन साधना, पूजा, दान और ध्यान करने से व्यक्ति के जीवन में गहरा सकारात्मक परिवर्तन आता है।

यदि आप इस विशेष तिथि पर कोई शुभ कार्य, उपाय, पूजा या ज्योतिष सलाह लेना चाहते हैं, तो Astrolive आपका संपूर्ण साथी साबित हो सकता है।

जीवन में समृद्धि, शांति और शुभता लाने के लिए यह तिथि अत्यंत उपयुक्त है।

FAQs

1. क्या मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर व्रत रखा जा सकता है?

हाँ, कई लोग इस तिथि पर व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उपासना करते हैं। व्रत मानसिक स्पष्टता, शांति और आध्यात्मिक बल बढ़ाने में सहायक माना जाता है।

2. क्या इस दिन घर में लक्ष्मी–नारायण की विशेष पूजा करना आवश्यक है?

अनिवार्य नहीं, लेकिन इस तिथि को की गई लक्ष्मी–नारायण पूजा से घर में सुख–समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। साधारण विधि से भी पूजा करने पर शुभ फल मिलते हैं।

3. क्या इस शुभ तिथि पर यात्रा करना सही माना जाता है?

आमतौर पर इस दिन यात्रा से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है, खासकर तब जब व्यक्ति पितृ तर्पण, दान या साधना कर रहा हो। हालांकि सामान्य परिस्थिति में यात्रा वर्जित नहीं है।

4. क्या इस दिन केवल पितृ तर्पण ही किया जाता है या अन्य यज्ञ–अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं?

पितरों के कार्य मुख्य होते हैं, परंतु व्यक्ति चाहें तो विशेष मंत्र–जप, शांतिदायी हवन, दान और दीपदान भी कर सकता है। यह तिथि सभी प्रकार की आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए अनुकूल है।

5. क्या इस दिन जन्मकुंडली में चंद्र दोष के अलावा अन्य ग्रह संबंधी समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है?

हाँ, यह दिन सूर्य–चंद्र ऊर्जा के संतुलन का होता है, इसलिए शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों से जुड़े उपाय भी किए जा सकते हैं। ज्योतिष सलाह लेकर व्यक्ति अपनी समस्या के अनुसार सही अनुष्ठान चुन सकता है।

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