करवा चौथ हिंदू विवाहित महिलाओं के लिए सबसे खास और पवित्र त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु व सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। परंपराओं, पूजा और पारिवारिक उत्सवों से भरा यह दिन प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
इस ब्लॉग में आप जानेंगे करवा चौथ का महत्व, सही पूजा विधि, उपवास की तैयारी, चंद्रोदय का समय और बहुत कुछ, ताकि आप इस पावन पर्व को पूरी श्रद्धा और सही विधि से मना सकें।
करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, “करवा” यानी मिट्टी का घड़ा और “चौथ” यानी कार्तिक मास की पूर्णिमा के बाद चौथा दिन। पारंपरिक रूप से इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और कुशलता के लिए उपवास रखती हैं।
इस त्योहार का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। यह दिन पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास और प्रेम को और मजबूत करता है। साथ ही यह परिवार और रिश्तों के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
सुबह से रात तक व्रत रखना अनुशासन और आस्था का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं स्नान कर पूजा करती हैं और दिन भर उपवास के साथ प्रार्थना करती हैं।
यदि आप इस वर्ष की सही Karwa Chauth puja vidhi जानना चाहते हैं तो आप Astrolive के ज्योतिषियों से परामर्श लेकर हर विधि सही ढंग से कर सकते हैं।
करवा चौथ की तारीख और उसका महत्व
इस वर्ष Karwa Chauth 2025 गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को रात 10:54 बजे से शुरू होकर शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को शाम 7:38 बजे तक रहेगी (IST)।
यदि आप सोच रहे हैं करवा चौथ कब है, तो यह समय आपके लिए सही मार्गदर्शन देगा। सही समय पर व्रत और पूजा करने से पूजा का फल और भी शुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ पूजा का समय और चंद्रोदय का सही क्षण जानना जरूरी है।
मुख्य बातें:
- तारीख: 9 अक्टूबर से 10 अक्टूबर 2025
- करवा चौथ चंद्रोदय समय: रात को चंद्रोदय के समय महिलाएं चांद देखकर व्रत खोलती हैं।
- उद्देश्य: पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए व्रत।
- शुभ समय: सटीक समय पर व्रत और पूजा करने के लिए आप Astrolive से परामर्श ले सकती हैं।
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करवा चौथ की तैयारी कैसे करें?

1. पारंपरिक परिधान और सजावट:
करवा चौथ के दिन महिलाएं पारंपरिक लाल, मैरून या सुहाग के रंगों के वस्त्र पहनती हैं। साड़ी, लहंगा या सूट को मेहंदी, गहनों और सिंदूर से सजाया जाता है। आधुनिक समय में भी महिलाएं पारंपरिकता को बनाए रखते हुए स्टाइलिश लुक अपनाती हैं।
2. पूजा की थाली और सामग्री:
पूजा थाली करवा चौथ का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसमें शामिल होते हैं:
- करवा (मिट्टी का घड़ा)
- दीया (दीपक)
- चावल
- मिठाई और सूखे मेवे
- मेहंदी
- रोली और चावल टीका के लिए
थाली को फूलों और रंगीन कपड़े से सजाया जाता है।
अगर आप सुनिश्चित करना चाहती हैं कि पूजा सामग्री पूरी और सही हो, तो आप Astrolive के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन ले सकती हैं।
3. सरगी की तैयारी:
सरगी उपवास शुरू करने से पहले प्रातः काल में खाई जाती है। यह भोजन सास द्वारा दिया जाता है और इसमें फल, मेवे, हल्का भोजन और दूध शामिल होता है। इससे दिनभर व्रत के दौरान ऊर्जा बनी रहती है।
भारत में करवा चौथ की परंपराएं
पंजाब:
यहां करवा चौथ बड़े उत्साह से मनाई जाती है। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और रंग-बिरंगे परिधान पहनकर उत्सव मनाती हैं।
राजस्थान:
यहां इस त्योहार में लोक नृत्य, गीत और सजावट का विशेष महत्व होता है। पूजा थालियों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है।
उत्तर प्रदेश:
यहां धार्मिक विधियों और मंत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। महिलाएं पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को संजोती हैं।
आधुनिक उत्सव:
शहरी क्षेत्रों में आजकल करवा चौथ पारंपरिक और आधुनिकता का सुंदर मेल बन गया है। ऑनलाइन पूजा मार्गदर्शन, सामूहिक पूजा और सोशल मीडिया पर उत्सव की झलक आम है।
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करवा चौथ पूजा करने की विधि (Karwa Chauth puja vidhi)
1. सुबह की पूजा:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, पारंपरिक परिधान पहनें और सरगी ग्रहण करें। इसके बाद दिन की शुरुआत प्रार्थना और व्रत संकल्प से होती है।
2. दिन में व्रत और भक्ति:
दिनभर बिना भोजन और पानी के उपवास किया जाता है। महिलाएं भक्ति में समय बिताती हैं, मेहंदी लगाती हैं, गीत-संगीत में शामिल होती हैं और परिवार व दोस्तों के साथ त्योहार की भावना को साझा करती हैं।
3. शाम की पूजा:
शाम को महिलाएं समूह में इकट्ठा होकर पूजा करती हैं। इस दौरान:
- दीपक जलाया जाता है।
- करवा में पानी अर्पित किया जाता है।
- पारंपरिक मंत्रों का जाप किया जाता है।
- करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है।
यह समय करवा चौथ का सबसे पवित्र क्षण माना जाता है।
अगर आपको सटीक विधि या पूजा क्रम नहीं पता तो Astrolive के ज्योतिषाचार्यों से सही दिशा-निर्देश ले सकती हैं।
4. चंद्रोदय और व्रत खोलना:
जैसे ही चांद निकलता है, महिलाएं छलनी से पहले चांद और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद पति पानी पिलाकर व्रत तुड़वाते हैं।
सही समय पर व्रत तोड़ने के लिए करवा चौथ चंद्रोदय समय का पता होना बहुत जरूरी है।
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करवा चौथ की लोकप्रिय कथाएं और उनका महत्व

करवा चौथ की पूजा में कथा सुनना परंपरा का हिस्सा है। ये कथाएं न केवल आस्था और प्रेम का संदेश देती हैं, बल्कि विवाहित जीवन में समर्पण और नारी शक्ति का महत्व भी बताती हैं।
रानी वीरवती की कथा:
रानी वीरवती ने अपने पति की लंबी आयु के लिए कठोर व्रत रखा। उनकी अडिग आस्था और समर्पण ने अंततः उनके पति को आशीर्वाद दिलाया, यह दिखाता है कि सच्चा प्रेम और विश्वास कठिनाइयों में भी फल देता है।
सावित्री और सत्यवान की कथा:
सावित्री की अटूट भक्ति और बुद्धिमत्ता ने यमराज से उसके पति का प्राण बचाया। यह कथा नारी शक्ति और समर्पण का प्रतीक है और सिखाती है कि सच्चे प्रेम और श्रद्धा से किसी भी संकट को टाला जा सकता है।
कथाओं का महत्व:
- सांस्कृतिक शिक्षा: युवा पीढ़ी पारंपरिक मूल्यों को सीखती है।
- आध्यात्मिक अनुभव: पूजा और व्रत का महत्व स्पष्ट होता है।
- परंपराओं का संरक्षण: पारिवारिक संस्कार और लोककथाएं जीवित रहती हैं।
इन कथाओं से करवा चौथ केवल उपवास और पूजा का त्योहार नहीं बल्कि प्रेम, समर्पण और पारिवारिक संस्कारों का प्रतीक बन जाता है।

निष्कर्ष: करवा चौथ — प्रेम और आस्था का उत्सव
करवा चौथ सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और वैवाहिक बंधन का प्रतीक है। इस दिन की हर परंपरा सरगी से लेकर चंद्रोदय तक, पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाती है।
अगर आप इस वर्ष सही पूजा विधि और शुभ समय में पूजा करना चाहती हैं, तो Astrolive के ज्योतिषाचार्य आपको चरणबद्ध मार्गदर्शन देंगे। इस पवित्र दिन को श्रद्धा, प्रेम और सही विधि से मनाकर आप अपने वैवाहिक जीवन में खुशियां और समृद्धि ला सकती हैं।
FAQs
1. करवा चौथ का क्या महत्व है?
यह दिन विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखने का प्रतीक है। यह वैवाहिक प्रेम, आस्था और समर्पण को दर्शाता है।
2. क्या अविवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं?
हाँ, कुछ अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी की कामना से व्रत रखती हैं।
3. व्रत कैसे खोला जाता है?
चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से चांद और पति को देखती हैं, फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।